मंदसौर। पुनर्जन्म की जीवंत घटनाओं का साक्षात्कार आए दिन सुनने और देखने को मिलता है। आत्मा और पुनर्जन्म पर विश्वास करने वाला ही सच्चा आध्यात्मिक है।उक्त विचार राष्ट्र संत कमलमुनि कमलेश ने जैन दिवाकर प्रवचन हाल में पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन व्यक्त किए।
मुनिश्री कमलेश ने कहा कि देहाती अवस्था में जाकर ही आत्मा का साक्षात्कार हो सकता है, जो अजर- अमर और अविनाशी है।
मुनिश्री ने कहा कि जिसमें आत्म चिंतन नहीं होता वह डिग्री धारी भी अज्ञानी है।
आत्मबोध पाने वाला अनपढ़ और पशु भी ज्ञानी की श्रेणी में आता है।
राष्ट्रसंत ने बताया कि देह की नश्वरता और आत्मा की अमरता आत्मा को कर्मों से मुक्ति दिलाने के लिए की गई साधना ही सार्थक है।विश्व के सभी धर्मों का मुख्य लक्ष्य भी ये ही है।
संतश्री ने कहा कि आज का विज्ञान भी पुनर्जन्म को स्वीकार कर रहा है। जिसका पुनर्जन्म में विश्वास नहीं उसका आध्यात्मिकता में प्रवेश नहीं है। संप्रदाय एक व्यवस्था है धर्म नहीं।
हेमविजय सुरिश्वर जी ने कहा कि आध्यात्मिक या कोई पंथ जाति और संप्रदाय नहीं होता उसमें बांटने वाला नादान है।
मंदसौर के इतिहास में आज प्रथम बार आध्यात्मिक पर्यूषण पर्व स्थानकवासी परंपरा के मुनिकमलेश और मूर्तिपूजक परंपरा के विद्वान संत हेम रत्न विजय सुरिश्वर जी ने एक मंच से एक साथ मनाकर नया कीर्तिमान स्थापित किया।
दुर्लभ स्वर्णिम क्षण को देखकर अपार जन समूह में भक्ति में नयन छलक पड़े। स्थानक में तपस्वी अक्षत मुनि जी का 24 उपवास, कमलेश नलवाया के आठ उपवास की तपस्या चल रही है। कौशल मुनि जी ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। गौतम मुनि जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली महिला शाखा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बिना जैन पंजाब ने अपने प्रांत में मुनि कमलेश के चमत्कारी घटनाओं का उल्लेख किया। गुरु भक्ति का गीत प्रस्तुत किया। विजय खटोड़ ने मंच का संचालन किया।,


