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56 लाख बच्चे गायब, बजट 7,000 से 37,000 करोड़, फिर भी बच्चे भूखे और स्कूल खाली क्यों? -जीतू पटवारी



भोपाल, 08 दिसंबर 2025

 आज भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने कहा  
मैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी का नागरिक अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने मध्य प्रदेश की वस्तु स्थिति को  देश और प्रदेश के सामने रखा है। उन्होंने साफ कहा कि मध्य प्रदेश में पचास लाख से अधिक बच्चों ने सेव (फलों) का नाम तक नहीं सुना।

मध्य प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था, बेरोजगारी, गरीबी और कुपोषण को लेकर पिछले कई वर्षों से अनेक एजेंसियों और शोध संस्थानों ने गंभीर रिपोर्टें प्रकाशित की हैं। देश की मीडिया ने लगातार यह बताया है कि किस तरह मध्य प्रदेश का शिक्षा ढांचा टूट चुका है और बच्चों को भोजन, किताब, शिक्षक और मूलभूत सुविधाएँ भी पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं। कुछ दिन पहले हमारे नेता राहुल गांधी जी ने भी ट्वीट के माध्यम से देश को यह कटु सच्चाई दिखाई कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चे मिड-डे मील में भोजन को कागजों परोसा जा रहा है।यह तस्वीर किसी व्यवस्था की खामी नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे की असफलता और संवेदनहीनता की शर्मनाक कहानी है।

उन्होंने आगे कहा
मोहन सरकार अपने बजट दस्तावेज़ में यह दावा करती है कि बच्चों को प्रतिदिन 12 रुपये पोषण के लिए दिए जाते हैं, लेकिन उसी में गायों के खाने पर प्रतिदिन 40 रुपये का खर्च दिखाया जाता है। आज स्थिति यह है कि सरकार के कागज़ों में गायों को चालीस रुपये रोजाना दिए जा रहे हैं, लेकिन सच यह है कि बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं और गायें भी गौशालाओं में दम तोड़ने को मजबूर हैं। यह एक ऐसे शासन का चित्र है जिसमें न मानव जीवन की कीमत है और न ही पशु जीवन की, केवल बजट का खेल और फाइलों का हेरफेर ही दिखाई देता है।

धर्मेंद्र प्रधान जी ने मध्य प्रदेश की वास्तविकता को आईने की तरह दिखा दिया है। उन्होंने प्रदेश की जनता को बता दिया है कि शिक्षा व्यवस्था में जो अंधकार फैला है, वह सिर्फ प्रशासनिक गलती नहीं बल्कि सत्ता की उदासीनता और भ्रष्टाचार का परिणाम है। आज यह भी सत्य है कि शिशु मृत्यु दर में मध्य प्रदेश पूरे देश में नंबर एक पर है, कुपोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भयावह है और यह जानकर भी सरकार न सुनवाई करती है, न कोई जांच कराती है, न कोई कदम उठाती है।

सबसे बड़ा खुलासा – 56 लाख बच्चे सात साल में गायब!
सरकारी UDISE+ (Unified District Information System for Education) डेटा के अनुसार:  2017-18 में कक्षा 1 से 12 तक कुल नामांकन → 1 करोड़ 60 लाख  

2024-25 में कुल नामांकन → मात्र 1 करोड़ 04 लाख
  
7 साल में 56 लाख बच्चे शिक्षा व्यवस्था से लापता!

श्री पटवारी ने पूछा –
“ये 56 लाख बच्चे कहाँ गए? क्या ये सिर्फ ड्रॉप-आउट हैं या व्यवस्था से भरोसा ही खत्म हो गया? क्या इन्हें मजदूरी करने भेज दिया गया? क्या ये बाल मजदूरी और बाल विवाह की भेंट चढ़ गए? सरकार इसका जवाब दे!”  बजट 5 गुना, सुविधाएँ शून्य!

2017 में स्कूल शिक्षा का बजट → ₹7,000 करोड़  

2024-25 में बजट → ₹37,000 करोड़ (5 गुना से अधिक वृद्धि)  
फिर भी:  बच्चों को मिड-डे मील में सूखी रोटी-नमक मिल रहा है  

सेब, अंजीर, बादाम, दूध का नामोनिशान नहीं  

1,400 से अधिक स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक  

10,000 से अधिक स्कूल बिना प्रिंसिपल के चल रहे हैं  

25% स्कूलों में विज्ञान-गणित के शिक्षक नहीं


श्री जीतू पटवारी ने सवाल उठाया –
“30,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट कहाँ गया? मिड-डे मील माफिया, आउटसोर्सिंग ठेकेदार, कमीशनखोर अफसर और नेताओं की जेब में तो नहीं पहुँचा? यह पैसा बच्चों तक पहुँचा ही नहीं, तो किसने खाया?”  

अपने ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने आईना दिखा दिया

”श्री पटवारी ने कहा –
“धर्मेंद्र प्रधान जी का बयान कोई साधारण टिप्पणी नहीं है।हम वर्षों से यही सवाल उठा रहे थे, लेकिन भाजपा हमें देशद्रोही न जाने क्या-क्या कहती थी। आज उनके अपने केंद्रीय मंत्री ने साबित कर दिया कि कांग्रेस जो कह रही थी, वह 100% सच था। अब भाजपा के पास शर्म करने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।”  

मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के 10 तीखे सवाल 56 लाख बच्चे सात साल में स्कूलों से गायब हो गए – क्या इन्हें ढूंढने की कोई योजना है? 

बजट 37,000 करोड़ होने के बावजूद बच्चे दूध-सेब क्यों नहीं खा पा रहे? 
 
मिड-डे मील की गुणवत्ता कचरा क्यों है?  

10,000 से अधिक स्कूल बिना प्रिंसिपल के क्यों चल रहे?  

1,400 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक – क्या यही “विश्वगुरु” बनने की तैयारी है?  
UDISE+ का पूरा डेटा सार्वजनिक करने से सरकार क्यों डर रही है?  

जब केंद्रीय मंत्री ने कमियाँ गिना दीं, तो मोहन यादव सरकार कब इस्तीफा देगी? 
 
मिड-डे मील, टेंडर, आउटसोर्सिंग में हुए घोटालों की CBI/ED जाँच होगी या नहीं? 
 
क्या यह अतिरिक्त 30,000 करोड़ रुपये “लापता बच्चों” की तरह लापता हो गया?  

क्या भाजपा को मध्य प्रदेश के बच्चों के भविष्य से कोई सरोकार बचा है?

अंत में श्री जीतू पटवारी का संदेश“यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह मध्य प्रदेश के 56 लाख बच्चों का भविष्य है। यह मध्य प्रदेश की आने वाली पीढ़ी का सवाल है। कांग्रेस राजनीति नहीं, जिम्मेदारी निभा रही है। हम बच्चों का शोषण बर्दाश्त नहीं करेंगे।


  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी से हमारा सीधा सवाल है – अपने केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद भी आप चुप क्यों हैं?
 कब तक बच्चों का हक़ खाने वालों को बचाते रहेंगे?  

 

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