दिनांक: 18 नवम्बर 2025
भोपाल।
उज्जैन क्षेत्र के किसानों के लंबे संघर्ष को बड़ी सफलता तब मिली जब मध्यप्रदेश सरकार ने उज्जैन के लिए लैंड पूलिंग एक्ट वापस लेने की घोषणा की। कांग्रेस ने इस निर्णय को “किसानों की ऐतिहासिक जीत” बताया है और सवाल उठाया है कि क्या यह राहत पूरे प्रदेश के किसानों को भी मिलेगी।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में आयोजित संयुक्त प्रेस वार्ता में
पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे, विधायक महेश परमार, किसान कांग्रेस अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह चौहान, प्रदेश महामंत्री अमित शर्मा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी और प्रदेश प्रवक्ता राहुल राज ने सरकार पर तीखा प्रहार किया।
“19 गाँवों के किसानों की जमीन बिना सहमति हड़पने की कोशिश” — महेश परमार
तराना विधायक महेश परमार ने कहा कि लगभग 19 गाँवों की हजारों कृषि भूमि को सरकार लैंड पूलिंग एक्ट के माध्यम से “बिना उचित मुआवज़े और बिना सहमति” लेने जा रही थी।
उन्होंने कहा कि—
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किसानों ने लगातार आंदोलन किया,
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सड़क से सदन तक संघर्ष किया,
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प्रभात फेरियों से लेकर घेराव तक हर स्तर पर आवाज उठाई,
जिसके बाद सरकार को झुकना पड़ा।
परमार ने केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि “यह भी उज्जैन का काला कानून था, जिसे जनता की एकजुटता ने वापस करवाया।”
मुख्यमंत्री मोहन यादव से सीधे सवाल
विधायक परमार ने मुख्यमंत्री से तीन मुख्य प्रश्न पूछे:
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क्या लैंड पूलिंग एक्ट सिर्फ उज्जैन में वापस हुआ है या पूरे प्रदेश में समाप्त होगा?
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विधानसभा में जिस तरह इसे पारित कराया गया था, क्या उसी तरह पूरे प्रदेश से इसे वापस लेने का प्रस्ताव लाया जाएगा?
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क्या किसानों को पुनः चार गुना मुआवज़े का प्रावधान मिलेगा?
“सरकार रेत–शराब माफिया की समर्थक” — सुखदेव पांसे
पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि—
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यह सरकार पहले ही शराब व रेत माफिया की संरक्षक है,
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अब किसानों की जमीनें उद्योगपतियों के हित में निशाना बनाई जा रही थीं,
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मनमोहन सिंह और कमलनाथ सरकारों ने किसानों का कर्ज माफ किया और चार गुना मुआवज़ा दिया, जिसे भाजपा ने खत्म कर दिया।
किसानों का संघर्ष बना मिसाल
किसान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह चौहान और प्रदेश महामंत्री अमित शर्मा ने कहा कि—
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कांग्रेस ने गाँव–गाँव जाकर किसानों को जागरूक किया,
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आंदोलन को किसानों और जनता का आंदोलन बनाया,
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अंततः सरकार को पीछे हटना पड़ा।
शहर अध्यक्ष मुकेश भाटी ने आरोप लगाया कि किसानों को डराने के लिए घरों से उठाया गया,
महाकाल की नगरी को छावनी में बदला गया,
यहाँ तक कि किसानों की वेशभूषा में आने वालों को भी दर्शन से रोका गया।
कांग्रेस के चार बड़े सवाल — प्रवक्ता राहुल राज
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क्या पूरे प्रदेश में टी एंड सीपी एक्ट के किसान विरोधी प्रावधान वापस लिए जाएंगे?
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क्या सरकार किसानों को चार गुना मुआवज़ा देगी?
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भावांतर योजना में सोयाबीन किसानों को वास्तविक लाभ मिला या केवल आँकड़ों का खेल हुआ?
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धान खरीदी और पंजीयन की तारीखों पर सरकार की स्पष्टता कहाँ है?
निष्कर्ष
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि—
“उज्जैन की लड़ाई सिर्फ उज्जैन की नहीं, पूरे मध्यप्रदेश के किसानों की लड़ाई है।”

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