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भाजपा सरकार के दो वर्ष: नगरीय अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और स्वास्थ्य संकट के दो वर्ष



भोपाल, 18 दिसंबर 2025 –

 मध्यप्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आज पूर्व नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री श्री जयवर्धन सिंह और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विक्रांत भूरिया ने संयुक्त पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने भाजपा सरकार के दो वर्षों के कार्यकाल को नगरीय विकास में विफलता, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और स्वास्थ्य व्यवस्था की ध्वस्त स्थिति का प्रतीक बताते हुए कड़े आरोप लगाए। दोनों नेताओं ने सरकार की उपलब्धियों को खोखला करार दिया और जनता की जान-माल से खिलवाड़ के लिए जिम्मेदार ठहराया।

श्री जयवर्धन सिंह ने नगरीय विकास के क्षेत्र में सरकार की असफलताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा, “भाजपा के दो साल उपलब्धियों के नहीं, बल्कि नगरीय संस्थाओं को कमजोर करने, योजनाओं को अटकाने, रोजगार छीनने और जनता को परेशान करने के दो वर्ष हैं। पिछले दो वर्षों में नगर निकायों के विकास को ठप कर दिया गया है। प्रदेश के शहरों में मास्टर प्लान तक नहीं लाया जा सका, जबकि कांग्रेस ने 1995 में मास्टर प्लान प्रस्तुत किया था। 2005 में अगला प्लान आना चाहिए था, लेकिन 22 वर्षों से अधिक सत्ता में रहने वाली भाजपा सरकार आज तक इसे नहीं ला पाई। 

भोपाल और इंदौर जैसे महानगरों को विकास की बजाय अव्यवस्था का शिकार बनाया जा रहा है।”

उन्होंने सरकार की प्रमुख विफलताओं का जिक्र करते हुए आरोप लगाया:

भोपाल का '90 डिग्री' वाला खतरनाक पुल: सुभाष नगर फ्लाईओवर में 90 डिग्री का शार्प टर्न आईआरसी मानकों का उल्लंघन है। उद्घाटन के बाद से 50 से अधिक हादसे हो चुके हैं। यह जनता के करोड़ों रुपयों की बर्बादी और जानलेवा भ्रष्टाचार का उदाहरण है।

रायसेन पुल कांड: करोड़ों की लागत से बने पुल निर्माण के दौरान ही ढह गए। ठेकेदारों से कमीशन लेने के कारण घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। रायसेन जिले में ₹150 करोड़ से अधिक का बजट व्यय हुआ, लेकिन क्वालिटी कंट्रोल शून्य है।

मेट्रो प्रोजेक्ट की 'बौनी' इंजीनियरिंग: भोपाल और इंदौर मेट्रो की लागत ₹12,000 करोड़ से अधिक है, लेकिन पिलर्स की ऊँचाई इतनी कम रखी गई कि बसें और ट्रक नहीं निकल पाते। अब सड़कों को खोदकर सुधारने पर अतिरिक्त ₹50 करोड़ खर्च हो रहे हैं, जिससे जलभराव की समस्या बढ़ रही है।

उज्जैन की लैंड पूलिंग योजना: जून 2024 में शुरू की गई योजना नवंबर 2025 में रद्द करनी पड़ी। ढाई हजार हेक्टेयर किसानों की भूमि जबरन अधिग्रहित की गई, लेकिन कांग्रेस के विरोध के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा।

अन्य भ्रष्टाचार: अग्निशमन उपकरणों में ₹200 करोड़ का खेल, सीवेज प्रोजेक्ट्स में ₹8,000 करोड़ का प्रावधान लेकिन अधूरे कार्य, और अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण में वसूली अभियान।

श्री जयवर्धन सिंह ने सवाल उठाया, “क्या सरकार किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रही है? कमीशन का खेल चल रहा है, जहां डिजाइन में जानबूझकर कमियां रखी जाती हैं ताकि बाद में सुधार के नाम पर बजट बढ़ाया जा सके। जांच का अभाव है, और बड़े ठेकेदारों को संरक्षण दिया जा रहा है।”

श्री विक्रांत भूरिया ने स्वास्थ्य संकट पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतना में बच्चों को HIV-संक्रमित खून चढ़ाने के मामले को उठाया।
उन्होंने कहा, “यह हादसा नहीं, अपराध है। 2025 में रक्त चढ़ाने से HIV होना दुर्घटना नहीं हो सकता। ब्लड स्क्रीनिंग फेल हुई, टेस्टिंग प्रोटोकॉल तोड़े गए, और निगरानी व्यवस्था ध्वस्त है। यह सिस्टम फेल्योर है।”

उन्होंने प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:

ब्लड बैंक सरकार के अधीन हैं, लेकिन डोनर के रिकॉर्ड अधूरे हैं। 250 में से सिर्फ 125 डोनर ट्रेस हो सके।

मार्च-अप्रैल में HIV पॉजिटिव रिपोर्ट आई, लेकिन सरकार ने महीनों तक मामला दबाया।

प्रभावित बच्चे थैलेसीमिया पीड़ित हैं, जो गरीब परिवारों से हैं। अब उन्हें जीवनभर दवा, सामाजिक कलंक और आर्थिक संकट झेलना पड़ेगा।

यह एक पैटर्न है: सतना में HIV संक्रमित खून, छिंदवाड़ा में कफ सिरप से मौतें, इंदौर में अस्पताल में चूहे का काटना। अस्पताल असुरक्षित हो गए हैं।

जांच समिति देरी से बनी और अभी तक जमीन पर काम नहीं कर रही।

श्री भूरिया ने कड़े शब्दों में कहा, “सरकारी गलती की सजा गरीब परिवार क्यों भुगतें? जब सरकार सोती है, तब बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ती है। BJP सरकार विज्ञापन चलाती है, अस्पताल नहीं। पोस्टर सुरक्षित हैं, मरीज नहीं।”

हमारी मांगें:
तत्काल कदम:ब्लड बैंक प्रभारी और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों को निलंबित किया जाए


आपराधिक FIR दर्ज हो।

पीड़ित बच्चों को जीवनभर मुफ्त HIV इलाज और उचित मुआवजा दिया जाए।

रायसेन पुल कांड और अन्य विफलताओं में दोषी ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।

मेट्रो और फ्लाईओवर की डिजाइन फेलियर के लिए अतिरिक्त खर्च की वसूली दोषी इंजीनियरों से की जाए।

व्यवस्थागत सुधार:
सभी ब्लड बैंकों का राज्य-स्तरीय ऑडिट।
ब्लड सेफ्टी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
स्वतंत्र जांच, विभागीय नहीं।

नगरीय विकास में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मास्टर प्लान तुरंत लाया जाए।
बजट डाइवर्जन रोककर नगर निगमों के कर्मचारियों और पेंशनधारियों का पैसा जारी किया जाए।

दोनों नेताओं ने अंत में कहा कि कांग्रेस जनता की आवाज बनेगी और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करेगी। यह सरकार नगरीय विकास और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों पर पूरी तरह विफल साबित हुई है 

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